(1)
अपनी नींद को ना त्यागूँगा कभी मैं
क्यूँकि सपनों में
हम और तुम दोनों ही खुश होते हैं।
हम और तुम दोनों ही खुश होते हैं।
फिर भी तुम्हारा इल्ज़ाम था कि
तुम बस सपने दिखाते हो।
तुम बस सपने दिखाते हो।
(2)
एक बार तो नज़रें मिल ही गयी थीं
सैलाब सा उमड़ आया था दिल में
अब इस पार तो आँधी है, तूफान है
उस पार ना जाने क्या होगा।
(3)
एक समय था
जब हम और तुम दोनों ही तन्हा थे
और संयोग तो देखो कि
आज कोई भी तन्हा नहीं है
आज तुम्हारे पास तुम्हारा प्यार है
और मेरे पास तुम्हारी यादें हैं।
(4)
तुम्हारे आगे कुछ कहता नही हूँ
बस निहारता हूँ तुम्हें
और तुम्हारी पलकों को झपकते हुए;
और तुम्हारे जाने के बाद
सब बातें तुम्हारी तस्वीर से कह जाता हूँ।
(5)
अब इन अश्कों को कौन समझाए
जो बिन बात के चले आते हैं
तुम्हारे आँसू मेरी कमज़ोरी थे
मेरे आँसुओं का तो तुम्हे पता भी ना होगा।
(6)
बहुत दिन से ख्वाहिश थी
आज उन्हें कुछ चुनकर भेंट किया मैंने
वो बहुत देर तक उस को निहारते रहे
और फिर बोले कितने में लाये;
शायद उन्हें भी किसी को भेंट करना था।
(7)
शब्दों के जंगल में
भावनायें कहीं खो सी गयी हैं
आँखें ही जब इज़हार न कर पाई
तो शब्दों से तो
मुझे कभी उम्मीद भी नहीं थी।
भावनायें कहीं खो सी गयी हैं
आँखें ही जब इज़हार न कर पाई
तो शब्दों से तो
मुझे कभी उम्मीद भी नहीं थी।
(8)
आज दिनचर्या से जल्दी निवृत्त होकर
छत के किनारे पे खड़े होकर
मैने और चाँद ने
बहुत देर तक तुम्हारी बातें की।
(9)
तुम्हारा प्यार भी
एक अजब समंदर था
उसमे डूब जाने की तरकीब नहीं आई
और पार कर जाना मेरे सामर्थ्य के बाहर था।
(10)
नज़रें ही तो मिली थीं तुमसे
थोड़ा सा मुस्कुराए ही तो थे हम दोनों
चर्चाओं का बाज़ार गर्म हो गया था
सोचता हूँ कि शायद नज़रें ना मिलती
तो इतना बवाल ना होता।
Tiwari babu ....awesome _/\_
ReplyDeletemast hai sir!!!
ReplyDeleteKya bhai. Aise machaoge ab?
ReplyDelete9th one especially tiwari bhai.. epic!
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