मैं उन्मुक्त लहर हूँ
मैं क्षितिज से तट तक
खुश हूँ चल के
अनंत सागर में विचरण करके
मैं दूर हर आवाज
हर आकृति से
मुक्त हर एक बंधन से
मैं स्वतंत्र स्वर हूँ
मैं उन्मुक्त लहर हूँ ।
मेरा विस्तार है
चारों दिशाओं में
मैं बसेरा हूँ
नित ढलते सूरज का
ध्वनि हूँ
बहती हवा की
यह असीम सागर है
मैं संदेशवाहक हूँ
मैं उन्मुक्त लहर हूँ ।
किस ओर मुझे जाना है
कौन सा अंत मुझे पाना है
हैं और कई प्रश्न
सागर के जितने गहरे,
उनके उत्तर की सुध कहाँ किसे
मैं स्वच्छंद हूँ,
यह क्या कम है ?
मैं उन्मुक्त लहर हूँ ।
Sunset at Varkala Beach, Kerala |