बालकनी के नीचे खिला हुआ
अमलतास के फूलों के आखिरी गुच्छा
कभी आखिरी राही के चले जाने के बाद
धुल छँट जाने के बाद
अपने होने या न होने के बारे में सोचता है
कि आखिर कौन सी वजह होगी
जो उसके वज़ूद को सही-सही बयाँ कर सकेगी।
क्या वह सिर्फ पीला रंग है?
क्या वह एक विशेष आकृति में गूँथ दी गई
परतों का बस एक समूह है?
क्या वह झूमती हुई पत्तियों का मात्र एक सहचर है?
क्या वह विभिन्न तत्वों का एक जटिल मिश्रण है?
या इन सब बातों से मिलकर बना कुछ अन्य?
यदि हाँ,
तो क्या अमलतास का यह पीला फूल
बस कुछ एक गुणों वाली वस्तु बनकर रह गया है?
हर एक वस्तु के कुछ तत्व हैं
क्या उन तत्वों को अलग-अलग करके देख सकने से
वज़ूद में झाँका जा सकता है?
क्या थीसेस के जहाज की तरह
इकाई और सम्पूर्णता की यह बहस
मात्र कारणों के बल पर जीती जा सकती है?
यदि नहीं,
तो क्या यह मान लेना चाहिये
कि इकाइयों का महत्व तभी है
जब सम्पूर्ण एक बार दिख जाए?
क्या ऐसा नहीं होता
कि हर एक वस्तु का
अपना एक मर्म होता है
जिससे अलग उस वस्तु और मर्म
दोनों को नहीं देखा जा सकता है
और अलग-अलग दोनों अपनी मूलता खो बैठते हैं?
यह भी हो सकता है
कि किसी वस्तु को
ज्ञात ढांचों में ढालना उचित न हो?
(या शायद सम्भव भी न हो।)
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