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Jun 24, 2017

अज्ञात यात्रा

दोबारा नहीं मिल सकेंगे हम
वो कुछ छायाचित्र
जो तुम्हें देखकर अनायास ही बन गये थे
धूमिल हो ही जायेंगे
स्याही से लिखी गयी कुछ पंक्तियों की तरह,
कभी सोचना कि अनायास मिलना
सुंदर होता है न?
बिना किसी के उगाये
जंगल में खिल आये
कुछ जंगली फूलों की तरह
जिन्हें हम खोजते नहीं फिरते
लेकिन दिख जाये तो क्या नहीं करते,
दोबारा नहीं मिल सकेंगे हम
एक ग्लेशियर पर बर्फ के रूप में गिरकर
हमें दो अलग दिशाओं में
दो अलग धाराओं में निकलना होगा
अलग-अलग यात्राओं के लिये
बर्फ पर उकेरी आकृतियों की तरह
ये यादें अन्य यादों के आने पर दब जायेंगी
या जैसे खेत में बोई हुई यादें
कभी घटनाओं के हल चलने पर
कभी दोबारा भी आ सकती हैं
यह हम सोचेंगे
और उन यादों को झरने पर टाँग देंगे
जहाँ से उन्हें मूकदर्शक बनकर
गिरते हुये देखा जा सके
और यह चलचित्र समाप्त होने के बाद
हमें फिर से अपनी-अपनी धारा में बहना होगा।

दोबारा नहीं मिल सकेंगे हम
दोबारा मिलने के लिये
नियति के चक्र फिर से ऐसे ही घूमने होंगे
गृहों की गति, देशकाल का प्रवाह
फिर से ऐसे ही होना पड़ेगा
और हमें फिर से अज्ञात यात्रा के लिये निकलना पड़ेगा।

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