दीवारें तोड़नी हैं
इससे पहले कि वह दीवार खड़ी हो जाये
मुझे उठना है
और दीवार से टकराकर
लहूलुहान हो जाना है।
मेरे सामने भागती है एक भीड़
सबने अपने कन्धों पर लाद रखे हैं
लकड़ियों के लट्ठे
जो हैं भुजायें किसी युवा जंगल की
इससे पहले कि यह लकड़ियाँ
गाड़ दी जायें
बना दी जायें चहारदीवारी
और रोक लें मुझको
मुझे पहुँचना है
और रोकना है उस भीड़ को।
एक कांटेदार पेड़ की कुछ शाखायें
काट कर रख दी गयी हैं धूप में
कल पत्तियाँ सूख कर गिर जायेंगी
तब इस डाल को रख दिया जायेगा किसी मेड़ पर
और बाँट दी जायेगी जबरदस्ती ज़मीन फिर से
जलाना चाहता हूँ
उस डाल को किसी चूल्हे में
जहाँ से सिर्फ धुँआ निकले
कोई दीवार न निकले।
नदी के सीने को खोदकर
एक ट्रक निकला है
ढोता है बालू
जो बनवाती हैं दीवारें,
जाओ, जाओ,
बादलों से कहो कि बरस पड़ें
और बहा दे पूरा बालू,
हवाओं से कहो कि चल पड़ें
और सब छितरा दें,
और रास्तों से कहो कि वे उलझ जायें
और घूमता रहे उन्हीं में वो ट्रक
इससे पहले कि वो ट्रक अपनी मंज़िल तक पहुँच जाये
उसे रोकना है।
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