yayawar । यायावर
शाश्वत सत्य की खोज में ...
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Dec 31, 2017
मौन
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तुम्हें साहित्य लिखना है न तो तुम सबसे पहले मौन लिखो। इतना मौन कि जहाँ तुम सुन सको काल-चक्र की धड़कनें और गिन सको साँसें महसूस कर सको ...
Dec 27, 2017
जीवन की दहलीज़ पर
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लहरों का बुलावा जानलेवा था मेरी अपनी समझ कुछ कच्ची थी अगर मैं सब कुछ जान लेता तो भी मैं क्या करता, दुनिया की परतें अंजान थीं अंजान का आ...
Dec 23, 2017
हिमालय
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ऊपर तुम रात में चाँद को अपने सिर पर ओढ़े हुये और झरनों के उदगम को इतिहास की उठापटक को सीने में दबाये हुये बर्फ़ की मोटी चादर में धरती ...
Dec 19, 2017
बहुत बरस बाद
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मुझे याद है सबकी आँखों का भाव-विभोर होना, घुँघरुओं की गूँज तुम्हारे पैरों का ताल में उठना-बैठना और थाम लेना कई धड़कनें, तुम्हें याद है ...
Dec 15, 2017
अनाम लोगों के ख़त
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"इधर कुछ दिनों से सूरज नहीं निकला है मैं बेचैन हो गया हूँ ताज़्ज़ुब इस बात का है किसी को इस बात से फ़र्क़ नहीं पड़ता है, सूरज? अरे...
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